दीनन दुख हारण देवा संथन सुख दाई
आजा मिला गीता व्याधा इन्निमे कहो कौन साध
पंछी हूँ पढ़ पढ़ावत गन्निका सितारी
गज को जब ग्राह ग्रस्यो दुष्यशण चीरा कास्यो
सभा बीच कृष्णा कृष्णा ध्रौपती पुकारे
इतेने मे हरी आगाए बस नन आ रुढ़ा भये
सूरदास द्वारी ताढ़ो अंतरो भीकारी
DheenanuDhukku.mp3 |
No comments:
Post a Comment